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At Dhyan Yog Ashram, we believe in the body’s innate ability to heal itself. By integrating Ayurvedic medicine with the practice of Yoga, we aim to restore balance and promote overall well-being. Our treatments are designed to address the root causes of illnesses rather than just alleviating symptoms.
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34 Years of Holistic Healing
For 34 years, our Ayurvedic treatment has provided holistic healing, blending ancient wisdom with natural remedies to restore balance and well-being. Our decades of experience ensure a trusted path to lasting health.
आयुर्वेद और योग थेरेपी एक-दूसरे के पूरक हैं और दोनों का उद्देश्य शारीरिक, मानसिक और आत्मिक संतुलन प्राप्त करना है। आयुर्वेद, जो भारत की प्राचीन चिकित्सा प्रणाली है, शरीर के दोषों (वात, पित्त, कफ) को संतुलित करने के लिए प्राकृतिक तरीकों का उपयोग करता है, जबकि योग थेरेपी शरीर और मन को स्वस्थ रखने के लिए आसन, प्राणायाम, और ध्यान का सहारा लेती है।
आयुर्वेद में योग थेरेपी का महत्व
दोषों का संतुलन: आयुर्वेद के अनुसार, शरीर में किसी भी प्रकार के विकार का कारण दोषों का असंतुलन होता है। योग थेरेपी के माध्यम से आसनों और प्राणायाम का अभ्यास इन दोषों को संतुलित करने में मदद करता है। जैसे कि वात दोष को नियंत्रित करने के लिए श्वास अभ्यास और ध्यान विशेष रूप से फायदेमंद होते हैं।
शरीर की शुद्धि: आयुर्वेद में शरीर की शुद्धि (पंचकर्म) पर जोर दिया जाता है। योग थेरेपी, विशेष रूप से आसन और प्राणायाम, शरीर के विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में सहायक होती है, जिससे शरीर शुद्ध और रोग मुक्त रहता है।
मानसिक शांति: आयुर्वेद में मानसिक स्वास्थ्य को भी उतना ही महत्वपूर्ण माना जाता है जितना कि शारीरिक स्वास्थ्य। योग थेरेपी में ध्यान और प्राणायाम के माध्यम से मन को शांत और संतुलित रखने पर जोर दिया जाता है, जो तनाव, चिंता, और अवसाद जैसी मानसिक समस्याओं को दूर करने में सहायक है।
रोगों का उपचार: आयुर्वेद और योग थेरेपी का मिलाजुला प्रयोग विभिन्न प्रकार की बीमारियों का प्राकृतिक उपचार करने में सक्षम है। उदाहरण के लिए, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, गठिया, और हृदय रोग जैसी बीमारियों में योग और आयुर्वेदिक उपचार का संयोजन काफी प्रभावी होता है।
आध्यात्मिक विकास: आयुर्वेद केवल शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिक विकास पर भी जोर देता है। योग थेरेपी के माध्यम से व्यक्ति अपनी आत्मा से जुड़ने और आंतरिक शांति प्राप्त करने में सक्षम होता है, जिससे जीवन में एक नई ऊर्जा और प्रेरणा का संचार होता है।
योगतीर्थ आयुर्वेद: प्राचीन चिकित्सा पद्धति से पूर्ण स्वास्थ्य की ओर
योगतीर्थ आयुर्वेद आयुर्वेद और योग के माध्यम से विभिन्न रोगों का उपचार करता है, और यह पद्धति हजारों सालों से चली आ रही है। आयुर्वेद का मुख्य उद्देश्य केवल बीमारी का इलाज करना नहीं, बल्कि रोग की जड़ को समाप्त कर, जीवन को संतुलित और स्वस्थ बनाना है। हमारे यहां हर मरीज को खास तरीके से देखा जाता है, और उनके शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य का पूरा ध्यान रखा जाता है।
आयुर्वेद का महत्व
आयुर्वेद, जिसका शाब्दिक अर्थ है ‘जीवन का विज्ञान’, एक प्राचीन चिकित्सा प्रणाली है जिसका उद्देश्य व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक और आत्मिक स्वास्थ्य प्रदान करना है। आयुर्वेद मानता है कि शरीर के त्रिदोष – वात, पित्त और कफ – का असंतुलन ही बीमारियों का मुख्य कारण होता है। इसे ठीक करने के लिए आयुर्वेदिक उपचार के साथ योग और ध्यान का संयोजन किया जाता है।
हमारे उपचार की विशेषताएँ
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प्राकृतिक उपचार: हमारे उपचार पूरी तरह से प्राकृतिक जड़ी-बूटियों और औषधियों का उपयोग करके किए जाते हैं। ये औषधियाँ न केवल रोगों का उपचार करती हैं, बल्कि शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाती हैं।
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योग और ध्यान: शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने के लिए, आयुर्वेदिक उपचार के साथ-साथ योग और ध्यान को भी सम्मिलित किया जाता है। इससे न केवल शारीरिक बीमारियाँ ठीक होती हैं, बल्कि मानसिक शांति और तनाव मुक्ति भी मिलती है।
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व्यक्तिगत उपचार योजना: हर व्यक्ति की शारीरिक और मानसिक स्थिति अलग होती है, इसलिए हम हर मरीज के लिए एक व्यक्तिगत उपचार योजना तैयार करते हैं। हमारे विशेषज्ञ उनकी समस्या के अनुसार सही उपचार का निर्धारण करते हैं।
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शुद्धता और गुणवत्ता: हम अपने उत्पादों में शुद्धता और गुणवत्ता का खास ध्यान रखते हैं। हमारे द्वारा बनाए गए सभी आयुर्वेदिक उत्पाद जैसे कि च्यवनप्राश, देसी घी, और धूप बत्ती पूरी तरह से शुद्ध और प्राकृतिक होते हैं, जिन्हें हम खुद तैयार करते हैं और आपके घर तक पहुंचाते हैं।
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वातावरण: हमारे आश्रम “ध्यान योग आश्रम” में प्राकृतिक वातावरण को महत्व दिया जाता है। हिमाचल प्रदेश के शांतिपूर्ण वातावरण में स्थित हमारा आश्रम शुद्ध हवा, सुंदर प्रकृति और एक आरामदायक वातावरण प्रदान करता है। यहां आकर मरीज खुद को प्रकृति के करीब महसूस करते हैं, जो उनके उपचार में और भी सहायता करता है।
रोगों का उपचार
हमारे आश्रम में कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से लेकर छोटी मोटी समस्याओं तक का इलाज किया जाता है। हम बिना किसी साइड इफेक्ट्स के बीमारियों को जड़ से ठीक करने का प्रयास करते हैं। आयुर्वेद और योग के संयोजन से कैंसर, मधुमेह, हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, मोटापा, तनाव, अनिद्रा और अन्य अनेक बीमारियों का उपचार संभव है।
आश्रम की सुविधाएँ
- मुफ्त आवास और भोजन: हमारे आश्रम में 3 दिन तक के योग और ध्यान सत्र के दौरान आवास और भोजन की व्यवस्था निशुल्क होती है। यहां का वातावरण परिवार जैसा है, जहां सभी का स्वागत समान रूप से किया जाता है।
- व्यक्तिगत ध्यान: हमारे अनुभवी योग और ध्यान प्रशिक्षक हर व्यक्ति को व्यक्तिगत ध्यान देते हैं, जिससे उन्हें सही मार्गदर्शन मिल सके।
निष्कर्ष
योगतीर्थ आयुर्वेद में 3 दिनों तक का मुफ्त योग और ध्यान सत्र न केवल शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को सुधारता है, बल्कि व्यक्ति को एक नए जीवन का अनुभव कराता है। आयुर्वेद और योग का यह अनूठा संगम आपको जीवन के हर क्षेत्र में संतुलन और शांति प्रदान करता है।
पंचकर्म उपचार: शरीर की गहरी सफाई और स्वास्थ्य का पुनर्निर्माण
योगतीर्थ आयुर्वेद में पंचकर्म उपचार का एक महत्वपूर्ण स्थान है, जो आयुर्वेद की पांच प्रमुख शुद्धिकरण प्रक्रियाओं पर आधारित है। यह उपचार शरीर को गहराई से शुद्ध करने, विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने, और शारीरिक संतुलन को बहाल करने में मदद करता है। पंचकर्म न केवल बीमारियों का उपचार करता है, बल्कि व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रखने में भी सहायक है।
पंचकर्म क्या है?
पंचकर्म, आयुर्वेद की एक प्राचीन चिकित्सा पद्धति है, जिसका उद्देश्य शरीर में जमा हुए दोषों और विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालना है। यह पांच प्रमुख प्रक्रियाओं पर आधारित है, जिनका उद्देश्य शरीर के हर हिस्से को गहराई से शुद्ध करना और संतुलन बनाए रखना है। यह उपचार विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी है, जो दीर्घकालिक बीमारियों से पीड़ित हैं या जिनका शरीर विषाक्त पदार्थों से भर गया है।
पंचकर्म की पाँच प्रमुख प्रक्रियाएँ
वमन (Vomiting Therapy): यह प्रक्रिया शरीर से कफ दोष को निकालने में सहायक है। इसका उपयोग सांस और पाचन से जुड़ी समस्याओं के उपचार के लिए किया जाता है।
विरेचन (Purgation Therapy): विरेचन के माध्यम से शरीर से पित्त दोष को बाहर निकाला जाता है। यह पाचन तंत्र को शुद्ध करने और त्वचा रोगों तथा जिगर की समस्याओं में फायदेमंद होता है।
बस्ती (Enema Therapy): बस्ती द्वारा वात दोष को संतुलित किया जाता है। इस प्रक्रिया में जड़ी-बूटी वाले तेलों और काढ़ों का उपयोग कर मलाशय के माध्यम से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकाला जाता है।
नस्य (Nasal Therapy): नस्य क्रिया के माध्यम से नाक के मार्ग से औषधियों का सेवन कराया जाता है, जिससे सिर और गले के दोषों को शुद्ध किया जा सके। यह प्रक्रिया साइनस, सिरदर्द और मानसिक तनाव के लिए उपयोगी होती है।
रक्तमोक्षण (Bloodletting Therapy): इस प्रक्रिया के माध्यम से रक्त को शुद्ध किया जाता है और रक्तस्राव के माध्यम से रक्त में मौजूद दोषों को बाहर निकाला जाता है। यह त्वचा संबंधी रोगों और विषाक्त पदार्थों से भरे रक्त के शुद्धिकरण में सहायक है।
पंचकर्म के लाभ
गहरी शुद्धि: पंचकर्म शरीर के सभी अंगों की गहराई से सफाई करता है, जिससे शरीर के भीतर जमा विषाक्त पदार्थ बाहर निकलते हैं और नई ऊर्जा मिलती है।
रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि: पंचकर्म उपचार से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, जिससे व्यक्ति बीमारियों से लड़ने में सक्षम हो जाता है।
मानसिक शांति: पंचकर्म न केवल शारीरिक शुद्धि करता है, बल्कि मानसिक संतुलन और शांति भी प्रदान करता है। यह तनाव और चिंता को दूर करने में सहायक होता है।
बीमारियों का जड़ से उपचार: आयुर्वेदिक पंचकर्म बीमारियों को जड़ से ठीक करने में मदद करता है, जिससे रोग का पुन: प्रकोप कम होता है।
योगतीर्थ आयुर्वेद में पंचकर्म उपचार
हमारे ध्यान योग आश्रम में पंचकर्म उपचार की संपूर्ण प्रक्रिया अनुभवी आयुर्वेदिक चिकित्सकों की देखरेख में की जाती है। हम प्रत्येक व्यक्ति की शारीरिक स्थिति के अनुसार एक व्यक्तिगत उपचार योजना तैयार करते हैं, जिससे उन्हें सर्वोत्तम परिणाम मिल सके। हमारा आश्रम हिमाचल प्रदेश की प्राकृतिक सुंदरता के बीच स्थित है, जो पंचकर्म उपचार के लिए एक आदर्श वातावरण प्रदान करता है।
निष्कर्ष
पंचकर्म उपचार एक समग्र चिकित्सा पद्धति है, जो शरीर को गहराई से शुद्ध करता है और उसे फिर से संतुलित करता है। योगतीर्थ आयुर्वेद में, हम पंचकर्म के माध्यम से न केवल बीमारियों का उपचार करते हैं, बल्कि व्यक्ति को पूर्ण स्वास्थ्य और मानसिक शांति की ओर ले जाते हैं।
योगतीर्थ आयुर्वेद में प्राकृतिक चिकित्सा: प्रकृति के माध्यम से स्वास्थ्य की प्राप्ति
योगतीर्थ आयुर्वेद में, हम मानते हैं कि शरीर को स्वस्थ और संतुलित रखने के लिए प्रकृति की शक्ति सबसे महत्वपूर्ण है। हमारी प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति का उद्देश्य शरीर को उसकी स्वाभाविक अवस्था में लाकर उसे पुनर्जीवित करना है। आयुर्वेद और योग के साथ-साथ, हम प्राकृतिक चिकित्सा के विभिन्न तरीकों का उपयोग करते हैं, जो शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालने और स्वास्थ्य को पुनः प्राप्त करने में सहायक होते हैं।
प्राकृतिक चिकित्सा क्या है?
प्राकृतिक चिकित्सा एक ऐसी प्राचीन पद्धति है, जिसमें औषधियों या रसायनों का उपयोग नहीं किया जाता। इसके बजाय, उपचार के लिए प्राकृतिक तरीकों जैसे कि सूर्य की रोशनी, ताजे हवा, जल, मिट्टी, भोजन और व्यायाम का उपयोग किया जाता है। इस चिकित्सा का मुख्य उद्देश्य शरीर की आत्म-चिकित्सा शक्ति को बढ़ाना और उसे संतुलित रखना है।
हमारे प्राकृतिक चिकित्सा उपचार
कटिस्नान (Hydrotherapy): पानी का उपयोग शरीर को शुद्ध और स्फूर्ति प्रदान करने के लिए किया जाता है। इसमें ठंडे और गर्म पानी के स्नान, पैकिंग और भाप स्नान का उपयोग होता है, जो रक्त परिसंचरण में सुधार करते हैं और शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालते हैं।
मिट्टीपट्टी चिकित्सा (Mud Therapy): मिट्टीपट्टी चिकित्सा का उपयोग शरीर को ठंडा करने और विषाक्त पदार्थों को सोखने के लिए किया जाता है। यह त्वचा को शुद्ध करता है और शरीर के तापमान को संतुलित करता है। मिट्टी से शरीर की कोशिकाओं को पुनर्जीवित करने में भी मदद मिलती है।
- योग और ध्यान: शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को संतुलित करने के लिए योग और ध्यान भी प्राकृतिक चिकित्सा का एक अभिन्न अंग है। इससे शरीर में ऊर्जा का संचार होता है और मानसिक शांति प्राप्त होती है।
- सूर्य चिकित्सा (Sun Therapy): सूर्य की रोशनी का उपयोग शरीर में विटामिन डी के निर्माण और मानसिक संतुलन के लिए किया जाता है। नियंत्रित मात्रा में सूर्य की किरणों के संपर्क से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है
प्राकृतिक चिकित्सा के लाभ
विषमुक्त शरीर: प्राकृतिक चिकित्सा के माध्यम से शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकाला जाता है, जिससे शरीर पुनर्जीवित होता है और स्वास्थ्य में सुधार होता है।
प्राकृतिक उपचार: यह चिकित्सा शरीर की प्राकृतिक उपचार शक्ति को बढ़ाती है, जिससे बीमारियों का उपचार बिना किसी साइड इफेक्ट के संभव होता है।
मानसिक शांति: प्राकृतिक चिकित्सा केवल शारीरिक स्वास्थ्य को सुधारने में ही नहीं, बल्कि मानसिक संतुलन और शांति प्राप्त करने में भी सहायक होती है।
दीर्घकालिक स्वास्थ्य: इस चिकित्सा के माध्यम से न केवल बीमारियों का उपचार होता है, बल्कि व्यक्ति का सम्पूर्ण स्वास्थ्य भी सुधरता है, जो लंबे समय तक बना रहता है।
योगतीर्थ आयुर्वेद में प्राकृतिक चिकित्सा का अनुभव
हमारे ध्यान योग आश्रम में प्राकृतिक चिकित्सा का पूरा लाभ लिया जा सकता है। हिमाचल प्रदेश के शांत और स्वच्छ वातावरण में स्थित यह आश्रम प्रकृति के करीब है, जहां आप शुद्ध हवा, ताजगी और प्राकृतिक चिकित्सा का अनुभव कर सकते हैं। हमारे विशेषज्ञों द्वारा दी जाने वाली चिकित्सा प्रक्रियाओं के माध्यम से आप न केवल अपने शरीर को शुद्ध कर सकते हैं, बल्कि अपनी मानसिक स्थिति को भी बेहतर बना सकते हैं।
निष्कर्ष
योगतीर्थ आयुर्वेद में प्राकृतिक चिकित्सा के माध्यम से शरीर और मन को शुद्ध करने का अद्भुत अवसर मिलता है। बिना किसी दवाई या रसायन के, हम आपको प्रकृति की गोद में ले जाकर शारीरिक और मानसिक शांति और स्वास्थ्य की प्राप्ति कराते हैं। यह उपचार प्रणाली आपको दीर्घकालिक स्वास्थ्य और समग्र संतुलन की ओर ले जाती है।
मर्म चिकित्सा: ऊर्जा बिंदुओं के माध्यम से शरीर और मन का उपचार
योगतीर्थ आयुर्वेद में, मर्म चिकित्सा एक प्राचीन और प्रभावी आयुर्वेदिक उपचार पद्धति है, जो शरीर के महत्वपूर्ण बिंदुओं (मर्म बिंदुओं) को सक्रिय कर शारीरिक और मानसिक संतुलन को पुनः स्थापित करती है। यह चिकित्सा शरीर की आंतरिक ऊर्जा का उपयोग कर न केवल बीमारियों का इलाज करती है, बल्कि व्यक्ति को संपूर्ण स्वास्थ्य की ओर ले जाती है। मर्म चिकित्सा की जड़ें भारतीय चिकित्सा विज्ञान में गहराई से जुड़ी हुई हैं और इसे आत्मा, शरीर और मन के बीच संतुलन बनाने का सबसे प्रभावी तरीका माना जाता है।
मर्म चिकित्सा क्या है?
मर्म बिंदु शरीर के ऐसे प्रमुख ऊर्जा केंद्र होते हैं, जो नर्वस सिस्टम, मांसपेशियों, हड्डियों, जोड़ों और नसों से जुड़े होते हैं। शरीर में लगभग 108 मर्म बिंदु होते हैं, जिन्हें यदि सही तरीके से सक्रिय किया जाए, तो ये शरीर की ऊर्जा को फिर से संतुलित करने और शारीरिक और मानसिक समस्याओं को दूर करने में मदद करते हैं। मर्म चिकित्सा इन बिंदुओं को दबाव, मालिश, और विशेष तकनीकों द्वारा सक्रिय करने की प्रक्रिया है, जिससे शरीर में प्राकृतिक उपचार क्षमता जागृत होती है।
मर्म चिकित्सा के प्रमुख लाभ
शारीरिक समस्याओं का उपचार: मर्म चिकित्सा के माध्यम से विभिन्न शारीरिक समस्याओं जैसे जोड़ों के दर्द, मांसपेशियों की कमजोरी, सिरदर्द, और अन्य समस्याओं का उपचार किया जा सकता है। यह चिकित्सा शरीर के नर्वस सिस्टम को सक्रिय करती है, जिससे दर्द और अन्य शारीरिक समस्याओं में राहत मिलती है।
मानसिक संतुलन: मर्म चिकित्सा न केवल शारीरिक समस्याओं का समाधान करती है, बल्कि मानसिक समस्याओं जैसे तनाव, अवसाद और चिंता का भी उपचार करती है। मर्म बिंदुओं पर काम करके मानसिक शांति प्राप्त होती है और मन को स्थिरता मिलती है।
ऊर्जा प्रवाह में सुधार: मर्म चिकित्सा शरीर की ऊर्जा को सही दिशा में प्रवाहित करती है, जिससे व्यक्ति में ताजगी और नई ऊर्जा का संचार होता है। यह व्यक्ति को थकान और कमजोरी से मुक्त करती है और जीवन में नई ऊर्जा का अनुभव कराती है।
आंतरिक अंगों का संतुलन: मर्म चिकित्सा आंतरिक अंगों को भी प्रभावित करती है। यह दिल, लिवर, किडनी और अन्य महत्वपूर्ण अंगों को स्वस्थ रखने में मदद करती है।
रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि: मर्म चिकित्सा शरीर की प्राकृतिक उपचार शक्ति को बढ़ाती है, जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता में सुधार होता है। यह चिकित्सा बीमारियों से लड़ने में शरीर को मजबूत बनाती है।
मर्म चिकित्सा की प्रक्रिया
मर्म बिंदुओं की पहचान: हमारे विशेषज्ञ प्रत्येक व्यक्ति के शरीर की स्थिति के अनुसार उसके मर्म बिंदुओं की पहचान करते हैं। यह प्रक्रिया पूरी तरह से व्यक्तिगत होती है, जिसमें हर व्यक्ति के शरीर और मानसिक स्थिति को ध्यान में रखा जाता है।
मालिश और दबाव: मर्म बिंदुओं पर विशेष दबाव और मालिश की जाती है, जिससे इन बिंदुओं में जमी हुई ऊर्जा को मुक्त किया जाता है और शरीर के विभिन्न अंगों में ऊर्जा का सही प्रवाह सुनिश्चित किया जाता है।
शरीर और मन का संतुलन: मर्म बिंदुओं को सक्रिय करने से शरीर के आंतरिक अंगों, तंत्रिकाओं और मांसपेशियों में संतुलन बनता है। यह प्रक्रिया धीरे-धीरे व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक शांति की ओर ले जाती है।
योगतीर्थ आयुर्वेद में मर्म चिकित्सा का अनुभव
हमारे ध्यान योग आश्रम में मर्म चिकित्सा का संपूर्ण उपचार अनुभवी आयुर्वेदिक चिकित्सकों द्वारा किया जाता है। हम हर मरीज की आवश्यकताओं के अनुसार एक व्यक्तिगत उपचार योजना तैयार करते हैं, जिससे उन्हें सर्वश्रेष्ठ परिणाम मिल सकें। मर्म चिकित्सा के साथ-साथ, हम योग, ध्यान और प्राकृतिक चिकित्सा का संयोजन भी करते हैं, ताकि व्यक्ति का संपूर्ण स्वास्थ्य सुनिश्चित हो सके।
निष्कर्ष
मर्म चिकित्सा एक अद्वितीय और प्रभावी आयुर्वेदिक उपचार पद्धति है, जो शरीर के ऊर्जा बिंदुओं के माध्यम से शारीरिक और मानसिक समस्याओं का समाधान करती है। यह चिकित्सा न केवल बीमारियों का उपचार करती है, बल्कि व्यक्ति को जीवन में नई ऊर्जा और शांति का अनुभव कराती है। योगतीर्थ आयुर्वेद में, मर्म चिकित्सा के साथ आयुर्वेद और योग का समग्र अनुभव आपको संपूर्ण स्वास्थ्य और संतुलन की ओर ले जाता है।
षट्कर्म: योग की शुद्धिकरण पद्धतियाँ शरीर और मन की गहराई से सफाई
योगतीर्थ आयुर्वेद में, योग की प्राचीन शुद्धिकरण पद्धतियाँ षट्कर्म का एक महत्वपूर्ण स्थान है। षट्कर्म का अर्थ है “छह क्रियाएँ,” और यह योग के छह प्रमुख शुद्धिकरण अभ्यासों का समूह है, जिनका उद्देश्य शरीर और मन को गहराई से शुद्ध करना और सभी अवरोधों को दूर करना है। योग के ये अभ्यास व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक संतुलन प्राप्त करने में मदद करते हैं और योग अभ्यास के लिए शरीर को तैयार करते हैं।
षट्कर्म क्या है?
षट्कर्म योग की छह शुद्धिकरण प्रक्रियाओं का समूह है, जो शरीर के अंदर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने और अंगों को शुद्ध करने के लिए किए जाते हैं। ये प्रक्रियाएँ शरीर के आंतरिक अंगों, तंत्रिकाओं, और मानसिक स्थिरता को संतुलित और शुद्ध करती हैं। इनका मुख्य उद्देश्य शरीर के सभी दोषों (कफ, पित्त, और वात) को संतुलित करना और स्वास्थ्य को बनाए रखना है।
षट्कर्म की छह प्रमुख क्रियाएँ
नेति (Neti – नासिका शुद्धि): यह प्रक्रिया नासिका मार्ग की सफाई के लिए की जाती है। इसे जल नेति और सूत्र नेति के रूप में किया जाता है। जल नेति में हल्के नमक के पानी का उपयोग कर नासिका की सफाई की जाती है, जबकि सूत्र नेति में कपास या रबर की नली का उपयोग होता है। यह प्रक्रिया श्वसन तंत्र को शुद्ध करती है और साइनस, एलर्जी और अस्थमा जैसी समस्याओं में लाभकारी होती है।
धौति (Dhauti – पाचन तंत्र शुद्धि): धौति क्रिया में पाचन तंत्र की सफाई की जाती है। इसमें वमन धौति (उल्टी के माध्यम से सफाई), वस्त्र धौति (सूती कपड़े को निगल कर पाचन तंत्र की सफाई), और दन्त धौति (मुंह और गले की सफाई) शामिल होते हैं। यह पाचन तंत्र से विषाक्त पदार्थों को निकालकर उसे स्वस्थ बनाता है।
बस्ती (Basti – मलाशय शुद्धि): बस्ती क्रिया मलाशय की सफाई के लिए की जाती है। यह एक प्रकार का योगिक एनीमा है, जिसमें जल या हवा का उपयोग करके आंतों की सफाई की जाती है। यह पेट की समस्याओं, कब्ज और पाचन विकारों को दूर करने में सहायक होती है।
कपालभाति (Kapalbhati – श्वसन क्रिया): कपालभाति एक श्वसन संबंधी क्रिया है, जिसमें बलपूर्वक साँस छोड़ने की प्रक्रिया से शरीर में जमा कफ को बाहर निकाला जाता है। यह मस्तिष्क और श्वसन तंत्र को शुद्ध करती है और शरीर में ऊर्जा का संचार करती है।
त्राटक (Trataka – नेत्र शुद्धि): त्राटक क्रिया में एक बिंदु या वस्तु पर निरंतर ध्यान केंद्रित किया जाता है, जैसे मोमबत्ती की लौ। इससे आँखों की दृष्टि तेज होती है, मानसिक स्थिरता प्राप्त होती है, और ध्यान की क्षमता बढ़ती है।
नौली (Nauli – उदर शुद्धि): नौली क्रिया में पेट की मांसपेशियों को हिलाकर उदर की सफाई की जाती है। यह पाचन तंत्र को मजबूत करती है, कब्ज दूर करती है, और पेट से संबंधित अन्य विकारों में लाभकारी होती है।
षट्कर्म के लाभ
शारीरिक शुद्धि: षट्कर्म प्रक्रियाएँ शरीर को गहराई से शुद्ध करती हैं, जिससे आंतरिक अंगों की सफाई होती है और शरीर से विषाक्त पदार्थ बाहर निकलते हैं।
रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि: षट्कर्म अभ्यास शरीर की प्राकृतिक प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं, जिससे शरीर बीमारियों से लड़ने में सक्षम हो जाता है।
मानसिक शांति और ध्यान में वृद्धि: त्राटक और कपालभाति जैसी क्रियाएँ मानसिक स्थिरता और ध्यान की क्षमता को बढ़ाती हैं, जिससे व्यक्ति ध्यान और योग अभ्यास में गहरी शांति प्राप्त कर सकता है।
पाचन तंत्र में सुधार: धौति और बस्ती क्रियाएँ पाचन तंत्र को साफ और स्वस्थ बनाती हैं, जिससे कब्ज, एसिडिटी और पेट की समस्याएँ दूर होती हैं।
वातावरण के साथ संतुलन: शरीर के दोषों (कफ, पित्त, वात) को संतुलित करने के लिए ये क्रियाएँ अत्यधिक लाभकारी हैं, जो शरीर को स्थिर और स्फूर्तिवान बनाती हैं।
योगतीर्थ आयुर्वेद में षट्कर्म का अनुभव
हमारे ध्यान योग आश्रम में षट्कर्म अभ्यास का विशेष महत्व है। यहाँ के प्रशिक्षित और अनुभवी योगाचार्य प्रत्येक व्यक्ति की शारीरिक स्थिति के अनुसार उन्हें षट्कर्म की विभिन्न प्रक्रियाओं का अभ्यास कराते हैं। हिमाचल प्रदेश के स्वच्छ और शांत वातावरण में योग और षट्कर्म की यह प्रक्रिया न केवल शारीरिक शुद्धि में सहायक होती है, बल्कि मानसिक और आत्मिक शांति भी प्रदान करती है।
निष्कर्ष
षट्कर्म योग की प्राचीन शुद्धिकरण पद्धति है, जो शरीर और मन को शुद्ध कर जीवन में नए स्वास्थ्य और संतुलन का अनुभव कराती है। योगतीर्थ आयुर्वेद में, हम इन क्रियाओं के माध्यम से आपके शरीर को शुद्ध, मजबूत और ध्यानयोग्य बनाते हैं, जिससे आप शारीरिक और मानसिक संतुलन प्राप्त कर सकें।
"आयुर्वेद हमें अपने जन्मजात स्वभाव को संजोना, जो हम हैं उसे प्यार करना और सम्मान देना सिखाता है, न कि लोग क्या सोचते हैं या हमें क्या होना चाहिए। आयुर्वेदिक उपचार केवल बीमारी को ठीक करने पर केंद्रित नहीं है; इसका उद्देश्य स्थायी स्वास्थ्य के लिए आपके शरीर, मन और आत्मा में सामंजस्य लाना है"
-योगतीर्थ
"आयुर्वेद जीवन का विज्ञान है जो हमें प्रकृति के साथ सामंजस्य बिठाकर जीने और सर्वोत्तम स्वास्थ्य एवं आरोग्य प्राप्त करने का मार्ग बताता है। आयुर्वेद के बारे में सबसे अच्छी बात यह है कि इसके उपचार से हमेशा अतिरिक्त लाभ ही होता है, दुष्प्रभाव नहीं।"
-योगतीर्थ